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प्रधानमंत्री की योजना के नाम पर किसानों से खाद के नाम पर हो रही लूट, जांच के नाम पर विभाग कर रहा खानापूर्ति*

*प्रधानमंत्री की योजना के नाम पर किसानों से खाद के नाम पर हो रही लूट, जांच के नाम पर विभाग कर रहा खानापूर्ति*

– प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना के नाम के दुरुपयोग का श्री हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी पर लगा है आरोप
– चित्तौड़ की कानव एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड की ओर से निर्मित जैविक व रासायनिक खाद की बाजार में प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना के नाम से बिक्री कर रही है हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी

*सिरोही/पाली/जालौर।* किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से कथित रूप से नकली खाद बेचे जाने की शिकायत के बाद सिरोही जिले का कृषि विभाग हरकत में आ गया है। इस मामले में अब विभाग ने भी कार्रवाई करते हुए श्री हलधर को ऑपरेटिव सोसायटी की ओर से प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना की आड़ में बेची जा रही खाद की बिक्री पर रोक लगा दी है और जांच के लिए सेंपल लिए हैं। जानकारी मिली हैं कि मामला प्रकाश में आने के बाद कंपनी ने भी सोसाइटियों में इस योजना से जुड़े खाद के बैग हटवाना शुरू कर दिया है। इतना कुछ होने के बाद भी कृषि विभाग के अधिकारी प्रभावी करवाई करने के बजाय जांच की गति को मंथर बनाए हुए हैं।

*किसानों की शिकायत के बाद हुआ था मामला उजागर*

सिरोही,जालोर व पाली जिला जो कि कृषि प्रधान जिले कहलाए जाते है। यहां के अधिकांश लोग खेती बाडी पर ही निर्भर हैं। इन जिलों में किसान लंबे समय से सरकारी सब्सिडी आधारित डीएपी और यूरिया की कमी का सामना कर रहे हैं। कमी पूरी करने के लिए सहकारी समितियां मान्यता प्राप्त निजी कंपनियों से खाद खरीदती रही हैं। इसी बीच किसानो ने जिला कलेक्टर से शिकायत की थी कि प्रधानमंत्री के नाम से किसानों के लिए चल रही सब्सिडी आधारित योजना के नाम का दुरुपयोग करते हुए हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी अधिकारियों की मिलीभगत से सहकारी समितियों के माध्यम से नकली खाद बेची जा रही है। यह खाद किसानों को 1100 से 1300 रुपए प्रति बैग बेची जा रही हैं। जबकि सब्सिडी आधारित खाद केवल ढाई सौ से तीन सौ रुपए प्रति बैग ही मिलती हैं।
मामला प्रकाश में आने के बाद प्रशासन और कृषि विभाग भी अब हरकत में आया हैं और जिले में हलधर को ऑपरेटिव सोसायटी नामक कंपनी की खाद की बिक्री पर रोक लगा दी। जानकारी मिली हैं कि इस कोऑपरेटिव सोसायटी की ओर से बेची जाने वाली खाद अधिकारियों की मिलीभगत से सिरोही के अलावा पाली व जालौर जिले में भी इसी योजना के नाम पर बेची जाकर किसानों को चुना लगाया जा रहा हैं।

*जांच के लिए सेंपल लिए, बिक्री पर रोक*

मामला जब उजागर हुआ तो कृषि विभाग ने भी अपने हाथ जलने से बचाते हुए फौरी तौर पर कार्रवाई शुरू कर दी। संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, सिरोही ने एक आदेश जारी कर जांच कमेटी का गठन कर संबंधित कंपनी की खाद की बिक्री पर रोक लगा दी। आदेश जारी होने के बाद खाद निरीक्षक ने जिले की दो–तीन सहकारी समितियों से संबंधित कंपनी की खाद के बैग सीज कर नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं तथा समितियों को निर्देशित किया है कि जांच पूरी होने तक यह खाद नहीं बेचे।
गौरतलब है कि चित्तौड़गढ़ की कानव एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड की ओर से निर्मित खाद की मार्केटिंग श्री हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी की और से प्रधानमंत्री की योजना के नाम से की जा रही हैं। विभाग ने एक सहकारी समिति से 100 बैग और दूसरी से 250 बैग जब्त किए हैं। इस तरह जिले में कई सहकारी समितियों में इस योजना की आड़ में बनाए गए खाद के बैग प्रचुर मात्रा में पड़े हैं। उनकी जब्ती की विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

*कंपनी से मांगे आवश्यक दस्तावेज*

कृषि विभाग ने संबंधित कोऑपरेटिव सोसायटी से उनकी ओर से बेची जा रही खाद के अनुज्ञा पत्र सहित अन्य दस्तावेज मांगे गए है । सूत्रों से जानकारी मिली हैं कि अभी तक विभाग ने कंपनी से यह नहीं पूछा हैं कि क्या वह प्रधानमंत्री की ओर से किसानों के कल्याण के लिए चली जा रही योजना के नाम का उपयोग करने के लिए अधिकृत हैं या नहीं। ओर यदि है तो फिर सब्सिडी दर पर खाद क्यों नहीं बेची जा रही हैं। इससे प्रतीत होता हे कि विभागीय अधिकारी किसी न किसी रूप से कंपनी के इस आपराधिक कृत्य को छिपाने का प्रयास कर रहे है।

*पूर्व में भी समितियों की स्वायत्तता पर लगाया था पहरा*
गौरतलब है कि सिरोही जिले में एक वर्ष पूर्व भी जब हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी की ओर से खाद की आपूर्ति शुरू की गई थी,उससे पहले सिरोही सेंट्रल को ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के नवनियुक्त एमडी पन्नालाल चोयल ने सभी सहकारी समितियों की स्वायत्तता पर पहरा लगाते हुए एक आदेश जारी कर सरकार की ओर से जारी आदेश का हवाला देते हुए निजी कंपनियों से खरीदी जाने वाली खाद पर रोक लगा दी थी। इससे पहले सभी समितियां सरकारी खाद की कमी होने पर लाभ हानि के आधार पर किसानों को आपूर्ति के लिए खाद खरीदती थी। एमडी के आदेशों के बाद हालांकि सहकारी समितियों ने निजी कंपनियों से खाद खरीदना बंद कर दिया। उसके तत्काल बाद हलधर कोऑपरेटिव सोसायटी ने अधिकारियों की मिलीभगत से सहकारी समितियों के माध्यम से अपनी खाद को बेचना शुरू कर दिया।

*प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक योजना : एक राष्ट्र–एक उर्वरक*

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने “प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक योजना” लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब देशभर में सब्सिडी वाले सभी उर्वरक एक ही ब्रांड ‘भारत’ नाम से बिकेंगे। यानी यूरिया, डीएपी या अन्य उर्वरक अब ‘भारत यूरिया’, ‘भारत डीएपी’ नाम से किसानों को उपलब्ध होंगे। नए नियमों के अनुसार उर्वरक बैग पर दो-तिहाई हिस्सा “प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक योजना” के लोगो व ब्रांड नाम से भरा होगा, जबकि शेष हिस्से पर निर्माता कंपनी की जानकारी दी जाएगी। 2 अक्टूबर से पुरानी पैकेजिंग बाजार से हटाई जाएगी। फिलहाल सरकार 26 प्रकार के उर्वरकों पर सब्सिडी देती है और अधिकतम खुदरा मूल्य भी तय करती है। इसी कारण सरकार का मानना है कि जब कीमत और वितरण वही तय कर रही है तो किसानों को एक ही ब्रांड के तहत उर्वरक उपलब्ध कराना तर्कसंगत है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कंपनियों की दशकों पुरानी ब्रांड पहचान और किसानों का उन पर विश्वास कमजोर हो सकता है। साथ ही, उर्वरक की गुणवत्ता को लेकर दोष सीधे सरकार पर आ सकता है।

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